“مَنْ قَرَأَ فِی شَهْرِ رَمَضَانَ آیَهً مِنْ کِتَابِ اللَّهِ عَزَّوَجَلَّ کَانَ کَمَنْ خَتَمَ الْقُرْآنَ فِی غَیْرِهِ مِنَ الشُّهُور»؛ जो कोई भी रमज़ान के महीने में अल्लाह की किताब से एक आयत पढ़ता है, ऐसा लगता है जैसे उसने अन्य महीनों में कुरान पूरा कर लिया है। (फ़ज़ाएल अल-अशहर अल-सलासह, पृष्ठ 97 - बिहार अल-अनवार (बेरूत), खंड 93, पृष्ठ 341)
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